Skip to main content

आई लाईक बिंग नियर द टॉप ऑफ ए माउंटेन , वन कांट गेट लॉस्ट हेयर - विस्लावा सिम्बोर्स्का





तुम गुमशुदगी से रिहा हुई या नहीं?
रिहाई मुझे तुम्हारे ख्वाबों से मिली, गुमशुदगी से नहीं
मैं पहाड़ियों की वादियों में गुम होना चाहती हूँ।
गुम मैं कुछ इस तरह होना चाहती हूं खुद में
कि अगर मैं वादियों में अपना नाम पुकारूं तो मुझे मेरी आवाज भी सुनाई न दे।

तुम्हें मेरी आंखों में कुछ दिखाई दे रहा है?

- तुम्हारी आंखों में तुम्हारी गुमशुदगी दिखाई दे रही है। ये तुम्हें आई फ्लू हो गया है क्या...

तुम भी नहीं समझ पाए। मेरी बातें कोई समझ ही नहीं पाता है।


तुम्हें पता है कि मेरे लिए तुम्हें पढ़ना बहुत मुश्किल होता है। तुम्हें पढ़ने के बाद मेरी हालत इतनी खराब हो जाती है कि किसी और को ये समझाना मुश्किल हो जाता है कि आखिर हुआ क्या है और देखो कोई समझ ही नहीं पाता। तुम्हें पढ़ने वाली ये आंखें लाल इसलिए है क्योंकि तुमने जो दर्द उकेरा है शब्दों में, उन्हें मेरी आंखों ने महसूस किया है।


लेकिन मैंने तुम्हारी आंखों को मेरा लिखा पढ़ने का हक नहीं दिया। फिर क्यों तुम्हारी आंखें खुद में मुझे महसूस कर रही हैं।


यही कारण है कि मैं पहाड़ों की वादियों में गुम हो जाना चाहती हूँ।


जबकि इसके उल्ट विस्लावा सिम्बोर्स्का ने लिखा है कि "आई लाईक बिंग नियर द टॉप ऑफ ए माउंटेन , वन कान्ट गेट लॉस्ट हेयर..."


कोमल कश्यप
https://www.facebook.com/ThodiBakwaas/

Comments

Popular posts from this blog

"आंचल में है दूध और आंखों में है पानी" - महादेवी वर्मा

महादेवी वर्मा  मीरा के बाद हिंदी में महादेवी वर्मा सुभद्रा कुमारी चौहान ही अपने लिए स्थान में आती नजर आती हैं जिस समाज में स्त्रियों के लिए लिखना तो क्या पढ़ना भी वर्जित माना जाता था वहीं इन नारियों का योगदान क्रांतिकारी ही माना गया।  जहां एक तरफ सुभद्रा कुमारी चौहान तो ममता और वीरता के गीत लिखती रही वहीं दूसरी तरफ महादेवी वर्मा ने नारियों की पीड़ा को समझा उसे छैला और अपनी कलम के माध्यम से अभिव्यक्त भी किया।  एक समय ऐसा था जब नारी को अबला नारी समझा जाता था जिसके लिए एक वाक्य भी कहा गया है "अबला जीवन हाय तुम्हारी यही कहानी आंचल में है दूध और आंखों में है पानी" महादेवी वर्मा ने उस समय लिखी थी जब वह लेखन में नारी की स्थिति को लिख रही थी। आज भी स्त्री पुरुषों के लिए रोजमर्रा के जीवन में भोगी जाने वाली एक वस्तु है लेकिन कुछ हद तक स्त्रियों ने इन बंधनों को तोड़कर साबित किया है कि स्त्री बिना पुरूष के भी अपना जीवन बेहतर कर सकती है। आज महादेवी वर्मा का जन्मदिन है। भारतीय स्त्री की मुक्ति के संघर्ष को बिंबो में बांधते हुए महादेवी लिखती है- ‘‘बाँध लेंगे क्या तुझे यह ...

दिल्ली में समर की वापसी पार्ट - 2

समर - कहा हो? तुम तो हमेशा टाइम से पंहुचती हो। आज इतना लेट... शिप्रा - अरे बस लेट हो गयी। समर - लेकिन बता तो देती तुम्हें कॉल कर रहा हूं। तुम कॉल रिसीव क्यूं नहीं कर रहीं? शिप्रा - मोबाइल साइलेंट पर था। समर - तुम इतनी लापरवाह कैसे हो सकती हो। शिप्रा - मगरमच्छ वाली हरकतें गयी नहीं तुम्हारी ... बस पहुँच रही हूँ। (शिप्रा समर से मिलने पहुँच जाती है) समर - आगयी मैडम... शिप्रा - मगरमच्छ 😑 पहले ये बताओ भूले भटके सदर इतने भीड़ भाड़ वाले शहर में कैसे आना हुआ। तुम इतने साल कहा थे? दीवाली की शॉपिंग करने आये हो? समर - तुमने जब मुझे ना कहा था फिर मेरे पास इस सिटी को छोड़कर जाने के अलावा कोई ऑपशन नहीं था। क्या रक्खा है इस शहर में तुम्हारे अलावा 😌 शॉपिंग तो करूंगा तुम्हारे साथ। शिप्रा - फोर इयर्स यार तुम अभी तक वहीं हो... इन चार सालों में बहुत कुछ बदला है। समर - मुंबई में दिल्ली को बसाकर रक्खा है। यानी तुम्हें... तुमने उस दिन जो किया भुला दिया। तुम्हारे बाद मेरा जिगरी दोस्त तुम्हारा भाई जॉय ने भी बात करना छोड़ दिया था। मैं अकेला हो गया था। इस ब्यूटीफुल सिटी में मेरा हार्ट अभी भी धड़कता है। 😘 शिप्रा...

तुम्हारे नंबर और शिकायते

contact list  ____________ ____________ मोबाइल में नये नंबरों की लिस्ट लम्बी होती जा रही है। कुछ contact unsaved ही पड़े हैे। कुछ करीबी दोस्त पीछे छुटते जा रहे है। रोज़ किसी दोस्त का कॉल आता है और किसी ना किसी काम में व्यस्त होने पर कहना पड़ता हैं आज शाम को याद से कॉल जरूर करूंगी। इसे वक़्त की कमी ही कहा जा सकता है। कुछ दोस्तों से समय समय पर मुलाकात होती रहती है लेकिन फिर भी कुछ दोस्त छूट जाते है। और जिन दोस्तो से मिलना नहीं होता उनकी शिकायतों की लिस्ट बढ़ती चली जाती है। कभी कॉलेज के दोस्त तो कभी स्कूल के दोस्त और हम आगे बढ़ते जाते हैं, सिर्फ उन किस्सों के साथ जिन्हें हम अब याद करके धीमे से मुस्कुरा देते है। कोमल कश्यप