
फिल्म में सिर्फ नौकर और मालिक की कहानी है। जिसे गोविंदा और राजेश खन्ना ने निभाया। मुख्य किरदार निभा रहे कृष्णा (गोविंदा) पर मि. कुमार (राजेश खन्ना) के छोटे भाई चोरी का इल्ज़ाम लगा देते हैं।कृष्णा को चोरी के आरोप में घर से बाहर निकाल दिया जाता है। कृष्णा उस स्वर्ग की दुनिया से बाहर निकल कर मुंबई जैसे बढ़े शहर में आता है और अपने पांव जमा लेता है और वापस अपने साहब जी को ढूंढता हुआ हवेली जाता है लेकिन तक तब स्वर्ग जैसी हवेली का बटंवारा हो चुका होता है। कहानी के अंत में गोविंदा एक मंदिर में गरीब लोगों को दान कर रहा होता है। राजेश खन्ना भी गरीब लोगों की कतार में बैठा हुआ होता है जिसके बाद गोविंदा राजेश खन्ना को पहचान लेता है और उनसे वापस हवेली चलने के लिए कहता है। सब लोग हवेली पर वापस आजाते हैं। लेकिन राजेश खन्ना अपने छोटे भाईयों द्वारा की गयी हरक़तों को माफ न कर पाने पर अपने माँ को दिए गए वादे को याद करता है। यही सब याद करते करते राजेश खन्ना को हार्टअटैक आता है और वो मर जाता है।
वैसे तो ये फ़िल्म सभी ने देखी होगी। इसमें नायक नायिका के न होने पर भी कहानी दमदार है।
वैसे तो ये फ़िल्म सभी ने देखी होगी। इसमें नायक नायिका के न होने पर भी कहानी दमदार है।
( जब तक घर का बटवारा नहीं होता तब तक वो स्वर्ग रहता है। पहली बार देखने वालों के लिए थोड़ी इमोशनल है ये फ़िल्म काफी पहले देखी थी इसलिए कहानी का बस इतना ही भाग मालूम है )
Comments
Post a Comment