Skip to main content

टूटे हुए फूल की महकती हुई खुशबू



उसने एक गहरी सांस ली और लिखना शुरू कर दिया। उसके लिखने में एक ऐसा दर्द था जो धूप कभी छांव की तरह कभी भी उखड़ जाता था। शाम ढलने को आई थी, सर्द हवाएं चलनी शुरू हो गई थी। लेकिन इन सर्द हवाओं से उसको कोई फर्क ही नहीं पड़ रहा था। जैसे सर्द हवाओं से उसका कोई पुराना नाता रहा हो। उसने हल्के गुलाबी रंग की शर्ट पहनी थी। उसमें वो एक महकता हुआ फूल लग रहा था। उसके आसपास मैं तितली की तरह मंडरा रही थी। उसके हाथ में टेब जिसमें वो कुछ लिख रहा था। मैं उसके पास बैठी हुई थी। उसकी महकती हुई खुशबू मुझ तक कुछ इस कदर आ रही थी कि मैं उस खुशबू में खोई हुई थी। मैंने छुपके से उसके टेब में झांकने की कोशिश की और जानने की भी कोशिश की, कि आखिर क्या लिखा जा रहा है? और उसने झट से मेरी ओर देखकर कहा कि इस तरह से बिना पूछे किसी के टेब में ताका झांकी नहीं करनी चाहिए। मैंने भी मुह बनाते हुए 😏 उसकी तरफ से अपना चेहरा हटाकर बाई ओर घूमा लिया था। बाई ओर कुछ लोग लकड़ियां जलाकर खुद को सर्द हवाओं से बचा रहे थे। मैं जैसे ही उन जलती हुई लकड़ियों की तरफ बढ़ी। उसने कहा रूको... उसने जैसे ही कहा रुको धड़कने उसकी आवाज़ सुनते ही दो पल के लिए थम सी गई थी। कहां जा रही हो ये पढ़कर बताओ तो मैंने कैसा लिखा है? 
उसने अपनी पहली पंक्ति में खुद को एक सूखा हुआ फूल बताया कि वो एक ऐसा फूल है जिसे लोग अक्सर किताबों में रखकर भूल जाते है और कई साल बाद जब मन करता है तो किताब खोलते है और मुझको अक्सर वहीं पाते हैं। लेकिन मैं उस किताब में से टस से मस तक नहीं होता क्योंकि मैं जानता हूं कि अगर मैं वहां नहीं मिला तो उन्हें निराशा होगी। मुझे पता है एक न एक दिन सूखे हुए फूल वाली किताब जरूर खोलेंगे और मुझे वहीं पाएंंगे।
दूसरी पंक्ति में उसने लिखा कि वो इतना टूट चुका है कि उसके घाव मरते दम तक भी भर नहीं सकेंगे। वो टूटे हुए शीशे की भांति इतने टुकड़ो में बंट गया है कि जब भी कोई शीशे के टूटे हुए टुकड़ों को समेटने की कोशिश करता है तो वो भी जख्मी हो जाता है। वो हमेशा बिखरा हुआ ही रहना चाहता है। वो नहीं चाहता कि कोई उसे समेटे।
मैं उसकी लिखी पंक्तियों में डूब गई थी। मैं खुद को उससे जोड़ने की कोशिश कर रही थी और सोच रही थी कि क्या कह दूं उसे कि मैं तुम्हारे टूटे हुए शीशे के टुकड़ों को फूलों की तरह समेटने के लिए तैयार हूँ 🥀🥀#टूटे_हुए_फूल_की_महकती_हुई_खुशबू

Comments

Popular posts from this blog

"आंचल में है दूध और आंखों में है पानी" - महादेवी वर्मा

महादेवी वर्मा  मीरा के बाद हिंदी में महादेवी वर्मा सुभद्रा कुमारी चौहान ही अपने लिए स्थान में आती नजर आती हैं जिस समाज में स्त्रियों के लिए लिखना तो क्या पढ़ना भी वर्जित माना जाता था वहीं इन नारियों का योगदान क्रांतिकारी ही माना गया।  जहां एक तरफ सुभद्रा कुमारी चौहान तो ममता और वीरता के गीत लिखती रही वहीं दूसरी तरफ महादेवी वर्मा ने नारियों की पीड़ा को समझा उसे छैला और अपनी कलम के माध्यम से अभिव्यक्त भी किया।  एक समय ऐसा था जब नारी को अबला नारी समझा जाता था जिसके लिए एक वाक्य भी कहा गया है "अबला जीवन हाय तुम्हारी यही कहानी आंचल में है दूध और आंखों में है पानी" महादेवी वर्मा ने उस समय लिखी थी जब वह लेखन में नारी की स्थिति को लिख रही थी। आज भी स्त्री पुरुषों के लिए रोजमर्रा के जीवन में भोगी जाने वाली एक वस्तु है लेकिन कुछ हद तक स्त्रियों ने इन बंधनों को तोड़कर साबित किया है कि स्त्री बिना पुरूष के भी अपना जीवन बेहतर कर सकती है। आज महादेवी वर्मा का जन्मदिन है। भारतीय स्त्री की मुक्ति के संघर्ष को बिंबो में बांधते हुए महादेवी लिखती है- ‘‘बाँध लेंगे क्या तुझे यह ...

दिल्ली में समर की वापसी पार्ट - 2

समर - कहा हो? तुम तो हमेशा टाइम से पंहुचती हो। आज इतना लेट... शिप्रा - अरे बस लेट हो गयी। समर - लेकिन बता तो देती तुम्हें कॉल कर रहा हूं। तुम कॉल रिसीव क्यूं नहीं कर रहीं? शिप्रा - मोबाइल साइलेंट पर था। समर - तुम इतनी लापरवाह कैसे हो सकती हो। शिप्रा - मगरमच्छ वाली हरकतें गयी नहीं तुम्हारी ... बस पहुँच रही हूँ। (शिप्रा समर से मिलने पहुँच जाती है) समर - आगयी मैडम... शिप्रा - मगरमच्छ 😑 पहले ये बताओ भूले भटके सदर इतने भीड़ भाड़ वाले शहर में कैसे आना हुआ। तुम इतने साल कहा थे? दीवाली की शॉपिंग करने आये हो? समर - तुमने जब मुझे ना कहा था फिर मेरे पास इस सिटी को छोड़कर जाने के अलावा कोई ऑपशन नहीं था। क्या रक्खा है इस शहर में तुम्हारे अलावा 😌 शॉपिंग तो करूंगा तुम्हारे साथ। शिप्रा - फोर इयर्स यार तुम अभी तक वहीं हो... इन चार सालों में बहुत कुछ बदला है। समर - मुंबई में दिल्ली को बसाकर रक्खा है। यानी तुम्हें... तुमने उस दिन जो किया भुला दिया। तुम्हारे बाद मेरा जिगरी दोस्त तुम्हारा भाई जॉय ने भी बात करना छोड़ दिया था। मैं अकेला हो गया था। इस ब्यूटीफुल सिटी में मेरा हार्ट अभी भी धड़कता है। 😘 शिप्रा...

तुम्हारे नंबर और शिकायते

contact list  ____________ ____________ मोबाइल में नये नंबरों की लिस्ट लम्बी होती जा रही है। कुछ contact unsaved ही पड़े हैे। कुछ करीबी दोस्त पीछे छुटते जा रहे है। रोज़ किसी दोस्त का कॉल आता है और किसी ना किसी काम में व्यस्त होने पर कहना पड़ता हैं आज शाम को याद से कॉल जरूर करूंगी। इसे वक़्त की कमी ही कहा जा सकता है। कुछ दोस्तों से समय समय पर मुलाकात होती रहती है लेकिन फिर भी कुछ दोस्त छूट जाते है। और जिन दोस्तो से मिलना नहीं होता उनकी शिकायतों की लिस्ट बढ़ती चली जाती है। कभी कॉलेज के दोस्त तो कभी स्कूल के दोस्त और हम आगे बढ़ते जाते हैं, सिर्फ उन किस्सों के साथ जिन्हें हम अब याद करके धीमे से मुस्कुरा देते है। कोमल कश्यप