शिप्रा समर को अपने घर ले जाती है। दोनों घर पहुँचते हैं। शिप्रा घर पहुँचते ही सीधा अपने कमरे में चली जाती है। समर शिप्रा के घरवालों से नज़रें चुराकर शिप्रा के कमरे की तरफ जा रहा होता है। लेकिन शिप्रा की मम्मी समर को रोकती है और उसका हालचाल लेती है। समर बेटा कैसे हो? शिप्रा ने कहां कहां घुमाया तुम्हें? समर - आंटी जी क्या आप जानती थी कि मैं आया हूँ? शिप्रा की मम्मी - हां, शिप्रा ने बताया था कि तुम आ रहे हो। शिप्रा ने इस बार भी कुछ किया क्या ? समर - { जी आंटी जी उसको जो करना था कर दिखाया } अरे नहीं नहीं आंटी जी शिप्रा तो बहुत ही सीधी साधी लड़की है भला वो ऐसे कैसे कर सकती है। { समर मन ही मन शिप्रा की हरकतों पर नाराज़ होता है } शिप्रा के घर में समर की खातीरदारी के लिए सारा इतंजाम किया होता है लेकिन समर को शिप्रा का किया हुआ मजाक पसंद नहीं आता। रात को खाना खाने के बाद दोनों छत पर यादों का खज़ाना खोलकर बैठ जाते है। थोड़ी देर बाद शिप्रा की मम्मी भी छत पर आ जाती है और वह भी वही पुराना किस्सा छेड़ देती हैं। जिसकी वजह से समर को जाना पड़ा था। समर को वापस आकर अच्छा लगा। समर मन ही मन सोच र...