एक ऐसी जगह जहां कोई ना हो,
एक बड़ा सा पेड़ हो,
उस पर लकड़ियों से बना मेरा घर हो,
आस पास अनानास, जामुन, लीची के पेड़ हो,
गिलहरियां फुद- फुदाती हुई दौड़ रही हो,
कठफोड़वाओं का पेड़ों की शाखाओं में
ट्वी-ट्वी-ट्वी करना,
थोड़ी ही दूर पर तालाब हो,
जिसमें बत्तख, हंस, कछुआ,
रंग - बिरंगी मछलियां हों।
ख़त्म होने को हैं अश्कों के ज़ख़ीरे भी 'जमाल'
रोए कब तक कोई इस शहर की वीरानी पर
~जमाल एहसनी
रोए कब तक कोई इस शहर की वीरानी पर
~जमाल एहसनी
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