जनवरी,2016
एक सुबह
समर - क्यों नाराज़ होती हो ?
शिप्रा - नाराज़ कहा हूं बस ऐसे ही | तुम पर तो इंग्लिश का भूत सवार हो गया है, क्यों सुनते हो किसी की बात (गुस्साएं हुए)................अरे हां मैंने तुम्हारी वो कविता पढ़ी थी जो तुमने मुझे कल भेजी थी| क्या गज़ब लिखते हो| तुम ऐसा करो एक्टिंग छोड़ो और कवि बन जाओ।
समर - कविता बस शौक के लिए लिखता हूं बाकि तुम जानती ही हों सब | तुम जानती हो हिंदी से मुझेे बहुत प्रेम है इसलिए अंग्रेज़ी बोलने से परहेज़ करता हूं और लोग समझ लेते है कि मुझे अंग्रेज़ी आती ही नहीं| एक्टिंग मेरी जिन्दगी है।
शिप्रा - अरे भोले भाले लड़के अपने मन की सुनते है और लोग क्या कहते है उसकी चिंता मत किया करो तुम सिर्फ अपनी एक्टिंग पर ध्यान दो |
समर - रिमा लोग सहीं कहते है मुझे अपने स्वभाव में थोड़ा बदलाव कर ही लेना चाहिए तुम बताओ अंग्रेजी में ही बात करनी शुरू कर दूं??
शिप्रा - तुम्हें अपनी मर्ज़ी से खुलकर जीना चाहिए...... एक्टिंग स्कूल ऑफ ड्रामा से निकलने के बाद क्या करने वाले हो??
समर - मैथिली तुम्हें रास नहीं आती और मुझे मैथिली में ही करनी है| सोच रहा हूँ एक्टिंग स्कूल खोल लूं |
(निष्कर्ष - हमारे अंदर कमियां ढूंढ़ना लोगों का काम है...और उस कमी को दूर करना हमारा काम हैं हमें तय करना होता है कि हमें अपनी कौन सी कमी को दूर करना हैं | बाकि आप जैसे है खुद को वैसा ही स्वीकार करिए क्योकिं आपके चाहने वाले आपका वास्तविक रूप देखना पसंद करेंगे न कि बनावटी |)
कोमल कश्यप
Comments
Post a Comment