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Showing posts from June, 2018

समर पार्ट - 1

जनवरी,2016 एक सुबह समर - क्यों नाराज़ होती हो ? शिप्रा - नाराज़ कहा हूं बस ऐसे ही | तुम पर तो इंग्लिश का भूत सवार हो गया है, क्यों सुनते हो किसी की बात (गुस्साएं हुए)................अरे हां मैंने तुम्हारी वो कविता पढ़ी थी जो तुमने मुझे कल भेजी थी| क्या गज़ब लिखते हो| तुम ऐसा करो एक्टिंग छोड़ो और कवि बन जाओ। समर - कविता बस शौक के लिए लिखता हूं बाकि तुम जानती ही हों सब | तुम जानती हो हिंदी से मुझेे बहुत प्रेम है इसलिए अंग्रेज़ी बोलने से परहेज़ करता हूं और लोग समझ लेते है कि मुझे अंग्रेज़ी आती ही नहीं| एक्टिंग मेरी जिन्दगी है। शिप्रा - अरे भोले भाले लड़के अपने मन की सुनते है और लोग क्या कहते है उसकी चिंता मत किया करो तुम सिर्फ अपनी एक्टिंग पर ध्यान दो | समर - रिमा लोग सहीं कहते है मुझे अपने स्वभाव में थोड़ा बदलाव कर ही लेना चाहिए तुम बताओ अंग्रेजी में ही बात करनी शुरू कर दूं?? शिप्रा - तुम्हें अपनी मर्ज़ी से खुलकर जीना चाहिए...... एक्टिंग स्कूल ऑफ ड्रामा से निकलने के बाद क्या करने वाले हो?? समर - मैथिली तुम्हें रास नहीं आती और मुझे मैथिली में ही करनी है| सोच ...

नन्हें क़दम

नन्हें क़दम ________ ________ तुम सिर्फ चलती रहो, चलती रहो कभी मत रुकना चाहे कितनी ही अर्चने आ जाए सिर्फ और सिर्फ आगे बढ़ती रहना तुम्हारे यह नन्हें नन्हें कदम तुम्हारे माता पिता को हौसला देते हैं। और हमें निराशा की ओर धकेल देते हैं। ‎ ‎तुम्हारे हाथ में बर्तन की जगह ‎किताब होने चाहिए थी, ‎लेकिन तुमने सीख लिया हैं ‎अपनी मजबूरियों में जीना ‎‎तुम्हारे बिखरे बालों से ‎तुम्हारी मासूमियत और बढ़ जाती है। ‎तुम्हारा यह नंगे पांव चलना ‎तुम्हें कंकड़- कांटो में, ‎बंजर ज़मीन पर ‎जीना सीखा रहा है। ©कोमल कश्यप

तुम्हारे नंबर और शिकायते

contact list  ____________ ____________ मोबाइल में नये नंबरों की लिस्ट लम्बी होती जा रही है। कुछ contact unsaved ही पड़े हैे। कुछ करीबी दोस्त पीछे छुटते जा रहे है। रोज़ किसी दोस्त का कॉल आता है और किसी ना किसी काम में व्यस्त होने पर कहना पड़ता हैं आज शाम को याद से कॉल जरूर करूंगी। इसे वक़्त की कमी ही कहा जा सकता है। कुछ दोस्तों से समय समय पर मुलाकात होती रहती है लेकिन फिर भी कुछ दोस्त छूट जाते है। और जिन दोस्तो से मिलना नहीं होता उनकी शिकायतों की लिस्ट बढ़ती चली जाती है। कभी कॉलेज के दोस्त तो कभी स्कूल के दोस्त और हम आगे बढ़ते जाते हैं, सिर्फ उन किस्सों के साथ जिन्हें हम अब याद करके धीमे से मुस्कुरा देते है। कोमल कश्यप